एक समय था, जब दोपहर की गरमी के बाद शामें धीरे-धीरे ठंडी हो जाया करती थीं। हौले-हौले रातों में हवाएँ चलती थीं… सुबहें फिर से सुहानी ही हुआ करती थीं, एक नयी उमंग, नयी ताज़गी लिए हुए ।।
परंतु अब इतने बुरे हालात् आ गये हैं कि सुबहें अपनी ताज़गी खो चुकी हैं। जिस तीव्र गति से वृक्षों को मनुष्य अपनी महत्वाकांक्षा की बलि चढ़ा रहा है… अब वृक्ष कम होते जा रहे हैं, सुबहों को फिर से वही ऊर्जा देने में अक्षम।।
स्वयं से पुछ कर देखें, शायद आपकी आत्मा आप को उत्तर दे ही देगी।

इन कृत्रिम वातानुकूलन प्रणाली की भी एक सीमा है। दुनिया भर की दौलत भी छोटे पौधों को एक दिन में वृक्ष नहीं बना सकती है…इस बात को समझें तथा अपने आसपास के वृक्षों की रक्षा करें।

देर तो बहुत ज्यादा हो ही चुकी है…अब तो बात अपने अस्तित्व की रक्षा की है।
With best wishes for your decision of planting 10 trees in next few days!!
Malvika@wwwsoultosoulvibes.in
All the rights are reserved!!
Excellent post on this day. We must protect our world 🌍
How? By protecting the nature.
World Environment day must be followed daily. Let us grow our nature to its original form 😊
Thank you so much for sharing your thoughts and concerns.
Let us have a peaceful world.
Take care of yourself 😊
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Nice Post
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