तार्रुफ़ के मोहताज़ होती हैं जिनकी निगाहें,
महसूस नहीं कर पातीं वो,
नमी सामने वाले की आखों में.
ज़बानी तार्रुफ़ से बने ताल्लुक
किस्मत की उचाईयों तक ही होते हैं साथ,
जो फिसलने लगी ये किस्मत,
थाम लेते हैं वो किसी और का हाँथ.
ओहदा गर पड़े बताना
दोस्ती के लिये किसी की
सोच लेना, देगा वो साथ किस तलक तक ,
आते और जाते रहते हैं
दोस्त ऐसे जीवन में ,
जो करनी हो दोस्ती सच्ची,
करो इंसानो से, उनकी भावनाओं से ,
उनकी सोच, उनकी समझ से,
ना करो बस ऊचीं प्रतिमाओं से ,
जो होगा ज़हीन, हमनवाँ , हमदर्द ,
वो बन पायेगा सच्चा हमराही,
देगा फिर वो साथ हर फ़लक तक.
तार्रुफ़ के मोहताज़!!

I would like to enhance my consciousness through you shipra..i really appreciate your noble work. Thanks a lot.
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Thanks a lot for your appreciation nd motivation 🙂… This is a process which goes on and on… We all are unveiling ourselves continuously… Would try to come up with more posts which can be more helpful!!
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